तरक्की की फसल

तरक्की की फसल हम भी काट लेते,
थोडे से तलवे अगर हम भी चाट लेते….

हाँ ! बस मेरे लहजे में “जी हुजूर”न था,
इसके अलावा मेरा कोई कसूर न था..

अगर पल भर को भी मैं बे-जमीर हो जाता,
यकीन मानिए,मै कब का वजीर हो जाता…..

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