तरक्की की फसल हम भी काट लेते,
थोडे से तलवे अगर हम भी चाट लेते….
हाँ ! बस मेरे लहजे में “जी हुजूर”न था,
इसके अलावा मेरा कोई कसूर न था..
अगर पल भर को भी मैं बे-जमीर हो जाता,
यकीन मानिए,मै कब का वजीर हो जाता…..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
तरक्की की फसल हम भी काट लेते,
थोडे से तलवे अगर हम भी चाट लेते….
हाँ ! बस मेरे लहजे में “जी हुजूर”न था,
इसके अलावा मेरा कोई कसूर न था..
अगर पल भर को भी मैं बे-जमीर हो जाता,
यकीन मानिए,मै कब का वजीर हो जाता…..