गुलामी ख्वाहिशो की है और मज़बूरी जरूरतों की..
वर्ना खुश मिजाज़ होना भला किसे खलता है..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
गुलामी ख्वाहिशो की है और मज़बूरी जरूरतों की..
वर्ना खुश मिजाज़ होना भला किसे खलता है..