रूबरू होने की तो छोड़िये,
लोग गुफ़्तगू से भी क़तराने लगे हैं……
ग़ुरूर ओढ़े हैं रिश्ते,
अपनी हैसियत पर इतराने लगे हैं..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
रूबरू होने की तो छोड़िये,
लोग गुफ़्तगू से भी क़तराने लगे हैं……
ग़ुरूर ओढ़े हैं रिश्ते,
अपनी हैसियत पर इतराने लगे हैं..