हासिल होने की उम्मिद ना-उम्मिद है,
फिर भी दिल वफा करता रहा सिर्फ तेरे लब्ज़ों के दम पर।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
हासिल होने की उम्मिद ना-उम्मिद है,
फिर भी दिल वफा करता रहा सिर्फ तेरे लब्ज़ों के दम पर।