बड़े बदनसीब ठहरे हम, जो क़रार तक ना पहुँचे,,,,दर-ए-यार तक तो पहुँचे, दिल-ए-यार तक ना पहुँचे|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
बड़े बदनसीब ठहरे हम, जो क़रार तक ना पहुँचे,,,,दर-ए-यार तक तो पहुँचे, दिल-ए-यार तक ना पहुँचे|