by pyarishayri - Hindi, Hindi Shayri, Hindi Shayris, Shayari, Shayri, प्यारी शायरी, वक्त-शायरी, शायरी, हिंदी, हिंदी शायरी - November 15, 2016 खुद को बहलाने की खुद को बहलाने की इक तरकीब सुझा रक्खी है, उलझनों के सिरहाने इक उम्मीद बिठा रक्खी है।।