फ़लक़ पर जिस दिन चाँद न हो, आसमाँ पराया लगता है
एक दिन जो घर में ‘माँ’ न हो, तो घर पराया लगता है।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
फ़लक़ पर जिस दिन चाँद न हो, आसमाँ पराया लगता है
एक दिन जो घर में ‘माँ’ न हो, तो घर पराया लगता है।