जी में जो आती है कर गुज़रो कहीं ऐसा न हो
कल पशेमाँ हों कि क्यों दिल का कहा माना नहीं |
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
जी में जो आती है कर गुज़रो कहीं ऐसा न हो
कल पशेमाँ हों कि क्यों दिल का कहा माना नहीं |