ये जो खामोश से

ये जो खामोश से अल्फ़ाज़ लिखे है ना, पढ़ना कभी ध्यान से, चीखते कमाल के हैं..

त्यौहार के बहाने

त्यौहार के बहाने ही सही… रिश्ते घर तो लौट आते है..

जो प्यासे हो

जो प्यासे हो तो अपने साथ रक्खो अपने बादल भी ये दुनिया है विरासत में कुआँ कोई नहीं देगा

इन्हीं पत्थरों पे

इन्हीं पत्थरों पे चल कर अगर आ सको तो आओ मेरे घर के रास्ते में कोई कहकशाँ नहीं है

उम्र की ढलान में

उम्र की ढलान में “इश्क़” होना कोई अचरज की बात नही ं गेंद जब पुरानी हो जाती है तब “रिवर्स स्विंग” लेती है…।

कैसी भी हो एक बहन

कैसी भी हो एक बहन होनी चाहिये……….। . बड़ी हो तो माँ- बाप से बचाने वाली. छोटी हो तो हमारे पीठ पिछे छुपने वाली……….॥ . बड़ी हो तो चुपचाप हमारे पाँकेट मे पैसे रखने वाली, छोटी हो तो चुपचाप पैसे निकाल लेने वाली………॥ . छोटी हो या बड़ी, छोटी- छोटी बातों पे लड़ने वाली,एक बहन… Continue reading कैसी भी हो एक बहन

बहुत मासूम हसरत

बहुत मासूम हसरत है बताओ क्या किया जाए, मुझे तुम से मोहब्बत है बताओ क्या किया जाए

सुबह से संदेशे

सुबह से संदेशे तो बहुत आये लेकिन मेहमान कोई नही आया. सोचता हूँ ड्राइंग रूम से सोफा हटा दूं. या ड्राइंग रूम का कांसेप्ट बदलकर वहां स्टडी रूम बना दूं. दो दिन से व्हाट्स एप और एफबी के मेसेंजर पर मेसेज खोलते, स्क्रॉल करते और फिर जवाब के लिए टाइप करते करते दाहिने हाथ के… Continue reading सुबह से संदेशे

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