हमको कमाल हासिल है ग़म से खुशियाँ निचोड़ लेते हैं|
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कभी रस्ते ये हम से
कभी रस्ते ये हम से पूछते हैं मुसाफ़िर हो रहे हैं दरबदर क्या |
छूते रहे वो दिल
छूते रहे वो दिल मेरा गज़ल की आग से, जलते रहे हम रातभर शायर की बात से|
उनकी मेहरबानी के
परिंदे उनकी छत पर बैठे हैं बिन दाने के बिन पानी के हमने तो बड़े चर्चे सुने थे उनकी मेहरबानी के….
जवाब उसकी आँखों में थे
सारे जवाब उसकी आँखों में थे जो कुछ पूछा था मैंने चिठ्ठी में|
बेखौफ सो जाता था
जो कभी तेरी गोद में सर रख के बेखौफ सो जाता था …. सुनो आज उसे सोने के लिए शराब की जरूरत पड़ती है !!
मर जाते हैं तुम पर
चलो, मर जाते हैं तुम पर..!! बताओ, दफ़न करोगी सीने में..!!
ज़िंदगी अब बोझ लगती है
ज़िंदगी अब बोझ लगती है बुज़ुर्गों की यहाँ, बाप माँ अपने ही घर मेहमान अब होने लगे॥
ज़िन्दगी के पेंच
आज़माइश की मुसलसल चोट से ज़िन्दगी के पेंच ढीले हो गये पीते-पीते सब्र की कड़वी दवा ख़्वाहिशों के जिस्म नीले हो गये|
एक तरफा ही सही
एक तरफा ही सही…प्यार तो प्यार है… उसे हो ना हो…लेकिन मुझे बेशुमार है…!