परिन्दों की फ़ितरत से आए थे वो मेरे दिल में।
ज़रा पंख निकल आए तो आशियाना छोड दिया॥
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
परिन्दों की फ़ितरत से आए थे वो मेरे दिल में।
ज़रा पंख निकल आए तो आशियाना छोड दिया॥
तुम नाराज हो जाओ, रूठो या खफा हो जाओ,
पर बात इतनी भी ना बिगाड़ो की जुदा हो जाओ|
पाँव लटका के दुनिया की तरफ . . . .
आओ बैठे किसी सितारे पर . . . .
ए जिन्दगी कभी चैन से मेरे साथ बैठ…
मैं आदमी बड़ा खुशमिजाज़ हूँ…
लाज़मी नहीं के तुझे आंखों से देखूं..
तेरी खुशबू तेरे दीदार से कम तो नहीं|
चुप तुम थे चुप हम भी रहे
ना जाने कैसे ये किस्सा आम हो गया…
हंसने पे भी आ जाते हैं आँखों में आंसु
कुछ लोग मुझे ऐसी दुआ दे कर गये हैं |
मेरी हर एक अदा में छुपी थी मेरी तमन्ना,
तुम ने महसुस ना की ये और बात है,
मैने हर दम तेरे ही ख्वाब देखें,
मुझे ताबीर ना मिली ये और बात है,
मैने जब भी तुझ से बात करनी चाही,
मुझे अलफाज़ ना मिले ये और बात है,
कुदरत ने लिखा था मुझको तेरी तमन्ना में
मेरी किस्मत में तुम ना थे ये और बात है|
ग़ज़ब ख़ूबसूरत है, तुम्हारा हर अन्दाज़,
इश्क़ में जलने का, मुहब्बत में जलाने का..!!
तेरे उतारे हुए दिन पहनके अब भी मैं,
तेरी महक में कई रोज़ काट देता हूँ !!