तरक्की की फसल

तरक्की की फसल हम भी काट लेते, थोडे से तलवे अगर हम भी चाट लेते…. हाँ ! बस मेरे लहजे में “जी हुजूर”न था, इसके अलावा मेरा कोई कसूर न था.. अगर पल भर को भी मैं बे-जमीर हो जाता, यकीन मानिए,मै कब का वजीर हो जाता…..

तेरी आरजू न गयी

तेरा ख़याल तेरी आरजू न गयी, मेरे दिल से तेरी जुस्तजू न गयी, इश्क में सब कुछ लुटा दिया हँसकर मैंने, मगर तेरे प्यार की आरजू न गयी…

कितने सालों के इंतज़ार

कितने सालों के इंतज़ार का सफर खाक हुआ । उसने जब पूछा कहो कैसे आना हुआ|

तेरी जगह आज भी

तेरी जगह आज भी कोइ नहीं ले सकता, पता नहीं वजह तेरी खूबी है या मेरी कमी।

ऐ मेरे पाँव के छालों

ऐ मेरे पाँव के छालों ज़रा लहू उगलो.., सिरफिरे मुझसे सफ़र के निशान माँगेगे..!!

चाहतों में मिलावट थी

अपनों की चाहतों में मिलावट थी इस कदर की मै तंग आकर दुश्मनों को मनाने चला गया |

कोशिश न कर

कोशिश न कर, तू सभी को ख़ुश रखने की, नाराज तो यहाँ, कुछ लोग… खुदा से भी हैं….!!

मुझे चाह नहीं कि

मुझे चाह नहीं कि मुझे कोई पहचानें.. बस, मेरी नज़रें किसी को भूल न पाएं!!

अरसा हो गया

अरसा हो गया पैरो को मिट्टी छुए हुए … बढ़ गयी हैं ज़मीं से कुछ इस कदर दूरियाँ …

कच्चे रंगों वाली

कच्चे रंगों वाली तितली क्या जाने… कि बारिश का भी साथ निभाना है उसे…

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