अपनी सूरत से जो जाहिर है

अपनी सूरत से जो जाहिर है छुपाये कैसे तेरी मर्जी के मुताबिक नज़र आये कैसे

शक तो था मोहब्बत में

शक तो था मोहब्बत में नुक़सान होगा ।। .. पर सारा हमारा ही होगा ये मालूम न था!!

बहुत कुछ खो चूका हूँ

बहुत कुछ खो चूका हूँ, ऐ ज़िन्दगी तुझे सवारने की कोशीश में, अब बस ये जो कुछ लोग मेरे हैं, इन्हें मेरा ही रहने दे….

जिम्मेदारियां मजबूर कर देती हैं

जिम्मेदारियां मजबूर कर देती हैं अपना शहर छोड़ने को, वरना कौन अपनी गली मे जीना नहीं चाहता….. हसरतें आज भी खत लिखती हैं मुझे, पर मैं अब पुराने पते पर नहीं रहता ।।

ये मत सोचो तुम छोङ दोगे

ये मत सोचो तुम छोङ दोगे तो हम मर जायेँगे ,वो भी जी रहे है जिनको तेरी खातिर हमने छोङा था .

तुमने मजबूर किया

तुमने मजबूर किया हम मजबूर हो गये ,तुम बेवफा निकले हम मशहूर हो गये .

हमने गुज़रे हुए लम्हों का हवाला

हमने गुज़रे हुए लम्हों का हवाला जो दिया,हँस के वो कहने लगे रात गई बात गई.

ना रख उम्मीद-ए-वफ़ा

ना रख उम्मीद-ए-वफ़ा किसी परिंदे से,जब पर निकल आते हैं तो अपने भी आशियाना भूल जाते हैं.

वो अक्सर देता है मुझे

वो अक्सर देता है मुझे , परिंदों की मिसाल .साफ़ नहीं कहता के , मेरा शहर छोड़ जाओ.

जाते हुए उसने सिर्फ इतना कहा

जाते हुए उसने सिर्फ इतना कहा मुझसे..ओ पागल …अपनी ज़िंदगी जी लेना,वैसे प्यार अच्छा करते हो.

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