जिन्दगी में मंजिले तो मिल ही जाती हैं

जिन्दगी में मंजिले तो मिल ही जाती हैं ,बस वो लोग नहीं मिलते जिन्हें इस दिल ने चाहा हो .

तू अपने ग़रीब होने का

तू अपने ग़रीब होने का दावा न कर, ऐ दोस्त, हमने देखा है तुझे बाज़ार में “तुवर की दाल” खरीदते हुए…

मैं फिर से

मैं फिर से, ठीक तेरे जैसे की तलाश में हूँ…. गलती कर रहा हूँ…लेकिन होशो हवास में हूँ …!!!

बहुत अजीब हैं

बहुत अजीब हैं ये बंदिशें मोहब्बत की, कोई किसी को टूट कर चाहता है, और कोई किसी को चाह कर टूट जाता है।

अलफ़ाज़ तो बहुत हैं

अलफ़ाज़ तो बहुत हैं,मोहब्बत बयान करने के लिए। पर जो खामोशी नहीं समझ सके, वो अलफ़ाज़ कया समझेंगे !!

सरे बाज़ार तो ना कहो

ये दिल बुरा ही सही…पर सरे बाज़ार तो ना कहो…, आखिर तुमने भी इस मकान में कुछ दिन गुजारे हैं……

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