लाख तलवारे बढ़ी

लाख तलवारे बढ़ी आती हों गर्दन की तरफ; सर झुकाना नहीं आता तो झुकाए कैसे.

बूँदों का सबब

बूँदों का सबब समझ सकता है वही जो वाकिफ हो भींग जाने के हुनर से!!

वो बदजुबां हुए

वो बदजुबां हुए हम बेजुबाँ.. इतनी सी दास्ताँ थी बदगुमानी में खत्म हो गई !

थक कर बैठ जाती हैं

थक कर बैठ जाती हैं ख्वाइशें भी कभी कभी धूप और छाँव का खेल जब खेलती है जिंदगी|

कभी साथ बैठो

कभी साथ बैठो तो कहूँ की क्या दर्द है मेरा……तुम दूर से पूछोगे तो खैरियत ही कहूँगा……

दिल बेजुबान है

दिल बेजुबान है तो क्या, तुम यूँ ही तोड़ते रहोगे !!

मोहब्बतो के दिनों की

मोहब्बतो के दिनों की यही खराबी है ये रूठ जाएँ तो लौट कर नहीं आते|

चेहरे पर सुकून

चेहरे पर सुकून तो बस दिखाने से है बेचैन तो वरना हर शख्स ज़मानें में है!!!

तेरा अंदाज़-ए-शायरी

तेरा अंदाज़-ए-शायरी भी क्या कमाल है पढूँ तो दिल धड़के ना पढूँ तो बेचैन रहूँ

घुट घुट कर

घुट घुट कर जीना पड़ रहा है… ऐसा करो तुम आ कर गला दबा जाओ…

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