कुछ इस तरह
लिपटा पड़ा है; तेरा साया मुझसे
सवेरा है फ़िर भी
मैं अब तक; रात के आग़ोश में गुम हूँ !
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
कुछ इस तरह
लिपटा पड़ा है; तेरा साया मुझसे
सवेरा है फ़िर भी
मैं अब तक; रात के आग़ोश में गुम हूँ !