मन की बात

मन की बात.. लोग सुबह उठकर खबर पढ़ना चाहते है, लगी आग की रांख को छूना चाहते है..

खुली किताब सा था

अपना किस्सा खुली किताब सा था, बस कोई अपने नाम के कुछ पन्ने मोड़ गया था।

जिनका मुकाम बेवफाई हो

वो राहें किस काम काम की जिनका मुकाम बेवफाई हो।।

मुझे गम भी

मुझे गम भी दिल से अजिज है ये भी उनकी दी हुइ चिज है|

यादों की रसद

जख्म अब तक तुम्हारी यादों की रसद पे ज़िंदा है|

तन्हाई लिखते समय

तन्हाई लिखते समय तुम मेरे सबसे पास थी|

कच्ची नसों में

कच्ची नसों में रंज जब चुप उतरता है काफिये साँसों के रूह-ए -शायर से मिल पाते नहीं|

कोई नजर भी उठाएं

कोई नजर भी उठाएं उस पे तो दिल धड़क जाता है.. मै उस शख्स को चाहता हूँ अपनी आबरू की तरह..

न लफ़्ज़ों से

न लफ़्ज़ों से और न एहसानो से साबित होती है, ये मोहब्बत है! इसमें सबसे ऊपर नीयत होती है।

वो धोखा दे तो

वो धोखा दे तो उसकी क्या ख़ता है ख़ता मेरी है धोखा खा रहा हूँ|

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