तुम पे लिखना शुरु कहा से करु, अदा से करु या हया से करु, तुम सब कि दोस्ती इतनी खुबसुरत है, पता नही कि तारिफ जुबा से करु या दुवाओं से करु…
Category: हिंदी शायरी
न सफारी में नज़र आयी और न ही फरारी में
न सफारी में नज़र आयी और न ही फरारी मेँ…… जो खुशी बचपन मेँ साइकिल की सवारी में नज़र आयी।
बचपन भी कमाल का था।
बचपन भी कमाल का था। खेलते खेलते चाहें छत पर सोयें या ज़मीन पर, आँख बिस्तर पर ही खुलती थी ..!!
अपनी दोस्ती का बस इतना सा असूल है।
अपनी दोस्ती का बस इतना सा असूल है, जो तू कुबूल है, तो तेरा सब कुछ कुबूल है..
गरूर तो मुझमे भी था कही ज्यादा
गरूर तो मुझमे भी था कही ज्यादा।। मगर सब टुट गया तेरे रूठने के बाद।।
ज्यादा कुछ नहीं बदला
ज्यादा कुछ नहीं बदला उसके और मेरे बीच में..!! पहले नफरत नहीं थी अब मोहब्बत नहीं हैं..!!!
प्यार करता हूँ !
प्यार करता हूँ इसलिए “फिकर” करता हूँ, नफरत करूँगा तो “जिकर” भी नहीं करूँगा,
शायरी क्या है मुझे पता नहीं …
शायरी क्या है मुझे पता नहीं, मै नग्मों की बंदिश जानता नहीं, मै जो भी लिखता हूँ, मान लेना सब बकवास है, जो कुछ भी हैं ये कैद इन अल्फाजों में, बस ये मेरे कुछ दर्द और मेरे कुछ ज़ज्बात हैं.
ये मत पूछो कि तुम मेरे क्या लगते हो…
ये मत पूछो कि तुम मेरे क्या लगते हो… दिल के लिए धङकन जरूरी है,और मेरे लिए तुम…
गरूर तो मुझमे भी था!
गरूर तो मुझमे भी था कही ज्यादा।। मगर सब टुट गया तेरे रूठने के बाद।।