चलो मान लिया

चलो मान लिया हमने के हमे मोहब्बत करनी नहीं आती…. तुम बताओ “ऐ जान” तुम्हे दिल तोड़ना किसने सिखाया….

यूँ तो दिल था

यूँ तो दिल था घर फ़क़त अल्लाह का बुत जो पाले थे तो जा रखनी ही थी|

तुम दिल दुखाया करो

सुनो तुम दिल दुखाया करो इजाजत है…. बस कभी भूलने की बात मत करना…

कौन सा मर्ज़ हुआ है

बताओ…कौन सा मर्ज़ हुआ है तुम्हें…! जो परहेज़ सिर्फ मेरे इश्क़ से है|

अश्क भरकर लिख देती है

अश्क भरकर लिख देती है रंजोगम को मेरे हाथों को वो ऐसी एक कलम दे गया|

झूठ शामिल कर लिया

जब से मैं ने गुफ्तगू मॆ झूठ शामिल कर लिया, मेरी बातो का बुरा अब कोई नही मानता…..

हिम्मत की बात थी

मझधार तक पहुँचना तो हिम्मत की बात थी साहिल के आस पास ही तूफ़ान बन गये |

दिल-ए-मासूम

दिल-ए-मासूम पे क़ातिलाना हमले, अपनी आँखों से कहो ज़रा तमीज़ से रहें.. !!

अऩजान अपने आप से

अऩजान अपने आप से वह शख्स रह गया, जिसने उम्र गुजार दी औरों की फिक्र में…!!

जब से छूटा है

जब से छूटा है गांव वो मिट्टी की खुशबू नहीं मिलती, इस भीड़ भरे शहर में अपनों की सी सूरत नहीं मिलती।

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