उसकी मोहब्बत का सिलसिला

उसकी मोहब्बत का सिलसिला भी क्या अजीब था अपना भी ना बनाया और किसी और का होने भी ना दिया ।

थी हर इक बात

थी हर इक बात, जिस बात से बात वो भी भुलानी पड़ी

कभी कभी वजह भी दे दिया करो

मशवरा तो देते रहते हो कि खुश रहा करो, कभी कभी वजह भी दे दिया करो

अपने सिवा कोई मिला है क्या तुम्हे

अपने सिवा कोई मिला है क्या तुम्हे ? हज़ारों बार ली तुमने मेरे दिल की तलाशियां…!

आँख बंद करके चलाना खंजर

आँख बंद करके चलाना खंजर मुझ पे , कही मैं मुस्कुराया तो तुम पहले मर जाओ गे ,

रहने दे अंधेरे मे मुझे

रहने दे अंधेरे मे मुझे…. गालिब उजाले मे अपनो के असली चेहरे नजर आ जाते हैँ….!

सारा दर्द मुझे ही सौंप दिया

सारा दर्द मुझे ही सौंप दिया… उसे मुझपे ऐतबार बहुत था…!!!

तेरे ही किस्से

तेरे ही किस्से…तेरी ही कहानियाँ मिलेंगी मुझमें…, मैं कोई अख़बार नहीं…जो रोज़ बदल जाऊं…।

कुछ लोग आए थे मेरा दुख बाँटने

कुछ लोग आए थे मेरा दुख बाँटने, मैं जब खुश हुआ तो खफा होकर चल दिये…!!!

न जाने कब खर्च हो गये वो लम्हें

न जाने कब खर्च हो गये वो लम्हें…. . . जो छुपाकर रखे थे जीने के लिए…..!!

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