जब से मैं ने गुफ्तगू मॆ झूठ शामिल कर लिया, मेरी बातो का बुरा अब कोई नही मानता…..
Category: हिंदी
हिम्मत की बात थी
मझधार तक पहुँचना तो हिम्मत की बात थी साहिल के आस पास ही तूफ़ान बन गये |
दिल-ए-मासूम
दिल-ए-मासूम पे क़ातिलाना हमले, अपनी आँखों से कहो ज़रा तमीज़ से रहें.. !!
अऩजान अपने आप से
अऩजान अपने आप से वह शख्स रह गया, जिसने उम्र गुजार दी औरों की फिक्र में…!!
जब से छूटा है
जब से छूटा है गांव वो मिट्टी की खुशबू नहीं मिलती, इस भीड़ भरे शहर में अपनों की सी सूरत नहीं मिलती।
वो मुझे इस तरह से
वो मुझे इस तरह से छोड़ गया.. जैसे रास्ता कोई गुनाह का हो…!
कुछ नहीं मेरी रग रग में
अब कुछ नहीं मेरी रग रग में, रेंगती है तु मेरी नस नस में |
भाग्य के दरवाजे
भाग्य के दरवाजे पर सर पीटने से बेहतर है, कर्मों का तूफान पैदा करें, दरवाजे अपने आप खुल जायेंगे।
आज नहीं फिर कभी
आज नहीं फिर कभी इजहार कर देंगे… इसी सोच में हमने उम्र निकाल दी…! और उन्होंने भी अभी तक किसी को अपना नहीं बनाया…!
भुजाओं की ताकत
भुजाओं की ताकत खत्म होने पर, इन्सान हथेलियों में भविष्य ढूंढता है।