तन्हाई लिखते समय

तन्हाई लिखते समय तुम मेरे सबसे पास थी|

कच्ची नसों में

कच्ची नसों में रंज जब चुप उतरता है काफिये साँसों के रूह-ए -शायर से मिल पाते नहीं|

कोई नजर भी उठाएं

कोई नजर भी उठाएं उस पे तो दिल धड़क जाता है.. मै उस शख्स को चाहता हूँ अपनी आबरू की तरह..

न लफ़्ज़ों से

न लफ़्ज़ों से और न एहसानो से साबित होती है, ये मोहब्बत है! इसमें सबसे ऊपर नीयत होती है।

वो धोखा दे तो

वो धोखा दे तो उसकी क्या ख़ता है ख़ता मेरी है धोखा खा रहा हूँ|

मुझ को ना समझ पाये

मेरे अज़ीज़ ही मुझ को ना समझ पाये कभी.. मैंअपना हाल किसी अजनबी से क्या कहता |

आँखों पर पट्टी बांधी

पहले से कुछ साफ़ नज़र आई दुनिया जब से हमने आँखों पर पट्टी बांधी|

यकीन कि कशतीयां

यकीन कि कशतीयां यु ही नही डुबी मेरी .. मेने देखा है तुम्हे गैरो का होते हुएँ|

एक काम करते हैं

चलो एक काम करते हैं नफ़रत को बदनाम करते हैं|

जरुरत नहीं थी

जरुरत नहीं थी असलियत में शायद.. कर्ज़दार हुए हम शौक ही शौक में..!!

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