धुप से जल कर मरा है वो, कमबख्त चाँद पर कविताएँ लिखता था..!!
Category: शायरी
ज़माने के लिए
ज़माने के लिए तो कुछ दिन बाद होली है.. लेकिन मुझे तो रोज़ रंग देती हैं यादें तेरी..!!
दोनों हाथों से
दोनों हाथों से लूटती है हमें , कितनी ज़ालिम है तेरी अंगड़ाई…!
मुझ पर रोज गिरते है
मुझ पर रोज गिरते है तेरी यादों के गुब्बारे…….!! .. मैं नही मानता साल में एक ही बार होती है होली……!!
चाहे फेरे ले
चाहे फेरे ले लो या कहो कबूल है अगर दिल में प्यार नहीं तो सब फिजूल है|
दिमाग का दिल से
दिमाग का दिल से अगर वास्ता नहीं होता ! क़सम खुदा की कोई हादसा नहीं होता…!!
ज़िंदगी ये चाहती है कि
ज़िंदगी ये चाहती है कि ख़दकुशी कर लूँ मैं इस इंतज़ार में हूँ कि कोई हादसा हो जाये
कितनी शिद्दत से
कितनी शिद्दत से तराशा था उस शख्स का किरदार हमने..,. जब हुआ मुक्कमल तो हमे ही पहचानना भूल गया…..
कदर कर लो
कदर कर लो उनकी जो तुमसे बिना मतलब की चाहत करते हैं… दुनिया में ख्याल रखने वाले कम और तकलीफ देने वाले ज़्यादा होते है..!
मैं याद तो हूँ
मैं याद तो हूँ उसे, पर ज़रूरत के हिसाब से। मेरी हैसियत, कुछ नमक जैसी है।