कौन सा रिश्ता है

ये कौन सा रिश्ता है जो मेरी आँखो से रिस्ता है|

लोग दीवाने हैं

लोग दीवाने हैं बनावट के साहब, हम अपनी सादगी ले के कहां जाएं….

वापिस खुद में

वापिस खुद में खुद को पहचान लूँ, इस कदर अजनबी हो जा तू मुझसे…

कब्र को देख के

कब्र को देख के, ये रंज होता है दोस्त… के इतनी सी जगह, पाने के लिए कितना जीना पड़ता है|

कुछ पल का साथ

कुछ पल का साथ दे कर तुम ने पल पल के लिए बेचैन कर दिया मुझको ..

कट रही है

कट रही है ज़िंदगी रोते हुए…. और वो भी तुम्हारे होते हुए…|

जो नजारे हैं

आसमानों में जो नजारे हैं , कुछ खुदा के हैं ओर कुछ तुम्हारें हैं !

सोच और हालात में

फितरत , सोच और हालात में फर्क है वरना….. इंसान कैसा भी हो दिल का बुरा नहीं होता…..

चलो मान लिया

चलो मान लिया हमने के हमे मोहब्बत करनी नहीं आती…. तुम बताओ “ऐ जान” तुम्हे दिल तोड़ना किसने सिखाया….

यूँ तो दिल था

यूँ तो दिल था घर फ़क़त अल्लाह का बुत जो पाले थे तो जा रखनी ही थी|

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