उम्र आधी हो चली है पर नहीं समझे
ज़िंदगी का मर्म रत्ती
भर नहीं समझे
व्यर्थ हैं सब डिग्रियाँ, यह लोग कहते हैं
प्यार के हमने
अगर अक्षर नहीं समझे
आदमी हो तो समझ ले आदमी का दुख
आदमी का दुख मगर पत्थर नहीं समझे
दिल की बातें सिर्फ़ दिल वाले ही समझेंगे
दिल की बातें कोई सौदागर नहीं समझे
ज़िंदगी पूरी
बिताकर के भी दुनिया में
संत दुनिया को ही अपना घर नहीं समझे!