उसने अपनी झोपड़ी का छप्पर कुछ इस प्रकार खोल रखा है…
कि यही दिन मेँ रौशनदान और रात मेँ उसका पंखा है…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
उसने अपनी झोपड़ी का छप्पर कुछ इस प्रकार खोल रखा है…
कि यही दिन मेँ रौशनदान और रात मेँ उसका पंखा है…