खामोश रहती है वो तितली जिसके रंग हज़ार हैं
और शोर करता रहा वो कौवा, ना जाने किस गुमान पर !
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
खामोश रहती है वो तितली जिसके रंग हज़ार हैं
और शोर करता रहा वो कौवा, ना जाने किस गुमान पर !