मजबूरी लिखे, दीवानगी लिखे या अपनी खामोशी लिखे…
दिल के जज्बात अब अल्फाज नहीं बनते …आखिर आज क्या लिखे..?
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मजबूरी लिखे, दीवानगी लिखे या अपनी खामोशी लिखे…
दिल के जज्बात अब अल्फाज नहीं बनते …आखिर आज क्या लिखे..?