गुम है जो तेरी आँख का मंजर तलाश कर।
बाहर जो खो गया है उसे अपने अंदर तलाश कर।
जो तुझ को तेरी जात से बाहर निकाल दे।
दश्त-ऐ-जूनून में ऐसा कलन्दर तलाश कर ।।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
गुम है जो तेरी आँख का मंजर तलाश कर।
बाहर जो खो गया है उसे अपने अंदर तलाश कर।
जो तुझ को तेरी जात से बाहर निकाल दे।
दश्त-ऐ-जूनून में ऐसा कलन्दर तलाश कर ।।