मजबूरियाँ हैं कुछ मेरी

मजबूरियाँ हैं कुछ मेरी मैं बेवफा नहीँ
सुन यह वक्त बेवफा है मेंरी खता नहीँ ।

हैं फासले जो दर्मिया किस्मत का खेल है
मैं रूह में शामिल हूँ तुझसे जुदा नहीँ ।

बीमार ए दिल हुआ है तेरी तलाश में
अब मौत मुकर्रर है लगती दवा नहीँ ।

हर हाल में करना मुझसे निबाह साहेब
ये इश्क़ रूह का है कोई खता नहीँ।

जाने क्या कशिश है दीवानगी में तेरी
लाखों थे गुल पे भंवरे किसी को चुना नहीँ ।

जिस दर पे झुका सर तेरी ही ख़ुशी माँगी
इन लबों पर और अब कोई दुआ नहीँ ।

एक बार रूठ जाओ हक़ ये तुम्हारा है
मेंरे लिए बनी क्या कोई सजा नहीँ ।

साहब मोहब्बत में रुसवाइयाँ कबूल सब
मुझको तुम्हारे प्यार से कोई गिला नहीँ ।

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