जुबान की हिफाज़त दोलत से कहीं ज्यादा मुश्किल है…
लोग अक्सर मुझसे पुछते हैं जगह – जगह तुम्हारी बहुत “निन्दा ” हो रही है..
और मेरा एक ही जवाब होता है ….
“निन्दा ” उसी की होती है जो जिन्दा है ।
तारीफ तो हमेशा मरे हुये की होती है…
बस अपने विश्वास में जियो..
अच्छे काम करते रहिये चाहे लोग तारीफ करें या न करें..
आधी से ज्यादा दुनिया सोती रहती है..
सूरज’ फिर भी उगता है..