मैं तो रोज़ ही
दुआ करता हूँ; हर लम्हा तेरे लिए तुम भी क्यूँ नहीं
किसी एक रोज़; फ़ातिहा पढ़ लेते मेरे लिए !
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मैं तो रोज़ ही
दुआ करता हूँ; हर लम्हा तेरे लिए तुम भी क्यूँ नहीं
किसी एक रोज़; फ़ातिहा पढ़ लेते मेरे लिए !