हमसे मुकम्मल ही न हुई कभी ऐ ज़िन्दगी तालीम तेरी…!
शागिर्द कभी हम बन ना सके और उस्ताद तूने बनने न दिया.!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
हमसे मुकम्मल ही न हुई कभी ऐ ज़िन्दगी तालीम तेरी…!
शागिर्द कभी हम बन ना सके और उस्ताद तूने बनने न दिया.!!