तेरे दावे है तरक़्क़ी के तो ऐसा होता क्यूँ है
मुल्क मेरा अब भी फुटपाथ पे सोता क्यूँ है|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
तेरे दावे है तरक़्क़ी के तो ऐसा होता क्यूँ है
मुल्क मेरा अब भी फुटपाथ पे सोता क्यूँ है|