ज़रा सी फैली स्याही है,ज़रा से बिख़रे हम भी हैं,
काग़ज़ पर थोड़े लफ़्ज़ भी है छुपे हुए कुछ ग़म भी हैं…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
ज़रा सी फैली स्याही है,ज़रा से बिख़रे हम भी हैं,
काग़ज़ पर थोड़े लफ़्ज़ भी है छुपे हुए कुछ ग़म भी हैं…