चुभता तो बहुत कुछ मुझको भी है तीर की
तरह,
मगर ख़ामोश रहेता हूँ, अपनी तक़दीर की
तरह|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
चुभता तो बहुत कुछ मुझको भी है तीर की
तरह,
मगर ख़ामोश रहेता हूँ, अपनी तक़दीर की
तरह|