अपनी उल्झन में ही

अपनी उल्झन में ही अपनी…
मुश्किलों के हल मिले,

जैसे टेढ़ी मेढ़ी शाखों पर भी..
रसीले फल मिले,

उसके खारेपन में भी कोई तो..
कशिश होगी ज़रूर….

वरना क्यूँ सागर से यूँ…
जा जा के गंगाजल मिले..

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