अजीब क़र्ब है दिल से जुदा नही होता ।
तिरा वजूद क्यों मुझमे फ़ना नही होता है ।
बस एक तू ही हमारा ना हो सका जाना ।
वग़रना होने को दुनिया में क्या नही होता ।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
अजीब क़र्ब है दिल से जुदा नही होता ।
तिरा वजूद क्यों मुझमे फ़ना नही होता है ।
बस एक तू ही हमारा ना हो सका जाना ।
वग़रना होने को दुनिया में क्या नही होता ।