वो शहंशाह है, मगर फकीरी मिजाज़ रखता है!
काशा हाथ में लेकर, ठोकर पे ताज रखता है!
उर्स-ए-गरीब नवाज़ मुबारक हो!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
वो शहंशाह है, मगर फकीरी मिजाज़ रखता है!
काशा हाथ में लेकर, ठोकर पे ताज रखता है!
उर्स-ए-गरीब नवाज़ मुबारक हो!