कुछ कदम हम चले…
कुद कदम तुम चले…
फर्क सिर्फ इतना रहा,
हम चले तो फासला घटता गया,
और तुम चले तो फासला बढ़ता गया…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
कुछ कदम हम चले…
कुद कदम तुम चले…
फर्क सिर्फ इतना रहा,
हम चले तो फासला घटता गया,
और तुम चले तो फासला बढ़ता गया…