रूबरू होने की

रूबरू होने की तो छोड़िये,
लोग गुफ़्तगू से भी क़तराने लगे हैं……

ग़ुरूर ओढ़े हैं रिश्ते,
अपनी हैसियत पर इतराने लगे हैं..

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