जब जलेबी की तरह उलझ ही रही है तू ऐ जिंदगी,…
..तो फिर क्यों न तुझे चाशनी मे डुबाकर मजा ले ही लिया जाए
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
जब जलेबी की तरह उलझ ही रही है तू ऐ जिंदगी,…
..तो फिर क्यों न तुझे चाशनी मे डुबाकर मजा ले ही लिया जाए