उसके लबो पे

उसके लबो पे ठहरे मेरा नाम कभी
ख्वार की तक़दीर में हो ये इनाम कभी

इक जुल्फ में उलझा हुआ नादान दिल
रुखसार को हो उसका एहतराम कभी

ये निगाहों के समंदर हैं तूफ़ान लिए
इस खोई किश्ती को मिले आराम कभी

ये दुनिया एक मयखाना हैं और वो साकी
इस वास्ते जिन्दा हूँ के मिलेगा जाम कभी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *