कुछ उलझे सवालो से डरता है दिल
जाने क्यों तन्हाई में बिखरता है दिल
किसी को पाने कि अब कोई चाहत न रही
बस कुछ अपनों को खोने से डरता है ये दिल|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
कुछ उलझे सवालो से डरता है दिल
जाने क्यों तन्हाई में बिखरता है दिल
किसी को पाने कि अब कोई चाहत न रही
बस कुछ अपनों को खोने से डरता है ये दिल|