मैंने पत्थरों को भी रोते देखा है झरने के रूप में..
मैंने पेड़ों को प्यासा देखा है सावन की धूप में…!
घुल-मिल कर बहुत रहते हैं लोग जो शातिर हैं बहुत…
मैंने अपनों को तनहा देखा है बेगानों के रूप मे….!!!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मैंने पत्थरों को भी रोते देखा है झरने के रूप में..
मैंने पेड़ों को प्यासा देखा है सावन की धूप में…!
घुल-मिल कर बहुत रहते हैं लोग जो शातिर हैं बहुत…
मैंने अपनों को तनहा देखा है बेगानों के रूप मे….!!!!