चूड़ी के टुकड़े थे,पैर में चुभते ही खूँ बह निकला
नंगे पाँव खेल रहा था,लड़का अपने आँगन में
बाप ने कल दारू पी के माँ की
बाँह मरोड़ी थी!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
चूड़ी के टुकड़े थे,पैर में चुभते ही खूँ बह निकला
नंगे पाँव खेल रहा था,लड़का अपने आँगन में
बाप ने कल दारू पी के माँ की
बाँह मरोड़ी थी!