हम तो नादाँ है, क्या समझेगें
उसूल – ए – मोहब्बत,
बस उसे चाहना था उसे चाहते हैं
और
उसे ही चाहेंगे !
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
हम तो नादाँ है, क्या समझेगें
उसूल – ए – मोहब्बत,
बस उसे चाहना था उसे चाहते हैं
और
उसे ही चाहेंगे !