शाम की तनहाईयाँ

ये शाम की तनहाईयाँ, ऐसे में तेरा गम,
पत्ते कही फड़के, हवा आयी तो चौंके हम,

जिस राह से तुम आने को थी, उस के निशान भी मिटने लगे,
आयी ना तुम सौ सौ दफ़ा, आये गये मौसम मीत…

सीने से लगा तेरी याद को, रोता रहा मैं रात को,
हालत पे मेरे चाँद तारे रो गये शबनम…!!

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