कुछ तबियत भी रही थी ऐसी
चैन से जीने की सूरत न रही
जिसको चाहा उसे अपना न सके
जो मिला उससे मुहब्बत न हुई…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
कुछ तबियत भी रही थी ऐसी
चैन से जीने की सूरत न रही
जिसको चाहा उसे अपना न सके
जो मिला उससे मुहब्बत न हुई…