एक सुबह ऐसी भी हो.!
जहाँ आँखे जिंदा रहने के लिये नही..!!
पर जिंदगी जीने के लिये खुले…!!
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आप किसी इंसान का दिल बस तब तक दुखा सकते हो
आप किसी इंसान का दिल बस तब तक दुखा सकते हो
जब तक वो आपसे प्रेम करता है…!!
जहां तक रिश्तों का सवाल है लोगो का
जहां तक रिश्तों का सवाल है लोगो का आधा वक़्त,
अन्जान लोगों को इम्प्रेस करने और
अपनों को इग्नोर करने में चला जाता हैं…!
अंदाज़ कुछ अलग हैं मेरे सोचने का
अंदाज़ कुछ अलग हैं मेरे सोचने का ,
सब को मंजिल का शौक है और मुझे रास्तों का .
असली प्यार तो वो होता था
असली प्यार तो वो होता था जब मां की एक बात का न मानना तो
हवा में लहराती हुई “पैरागॉन “चप्पल आकर सीधी मुहं पर लगती थी!!!! 😁😁😁
Hum bhi baandhey gey
Hum bhi baandhey gey
Tere Ishq mai Ehraam-e-Junoon,
Hum bhi Dekhange Tamasha teri LaiLaai ka..!!
दर्द की कीमत क्या है
किसी ने यूँ ही पूछ लिया हमसे कि दर्द की कीमत क्या है;
हमने हँसते हुए कहा,
“पता नहीं… कुछ अपने मुफ्त में दे जाते हैं।”
यदि दोस्त ना होते
यदि दोस्त ना होते
एक पल के लिये सोचो कि यदि दोस्त ना होते तो क्या हम ये कर पाते
नर्सरी में गुम हुये पानी की बॉटल का ढक्कन कैसे ढूंढ पाते..
LKG में A B C D लिख कर होशियारी किसे दिखाते..
UKG में आकर हम किसकी पेन्सिल छुपाते..
पहली में बटन वाला पेन्सिल बॉक्स किसेदिखाते..
दूसरी में गिर जाने पर किसका हाथ सामने पाते..
तीसरी में absent होने पर कॉपी किसकी लाते..
चौथी में दूसरे से लड़ने पर डांट किसकी खाते..
पांचवी में फिर हम अपना लंच किसे चखाते..
छठी में टीचर की पिटाई पर हम किसे चिढाते..
सातवीं में खेल में किसे हराते / किससे हारते..
आठवीं में बेस्ट फ्रेंड कहकर किससे मिलवाते..
नवमीं में बीजगणित के सवाल किससे हल करवाते..
दसवीं में बॉयलाजी के स्केचेज़ किससे बनवाते..
ग्यारहवीं में “अपनीवाली” के बारे में किसे बताते..
बारहवीं में बाहर जाने पर आंसू किसके कंधे पर बहाते..
मोबाइल नं. से लेकर “उसकेभाई कितने हैं” कैसे जान पाते..
मम्मी, पापा,दीदी या भैय्या की कमी कैसे सहपाते..
हर रोज कॉपी या पेन भूल कर कॉलेज कैसे जाते..
“अबे बता” परीक्षा में ऐसी आवाज किसे लगाते..
जन्मदिनों पर केक क्या हम खुद ही अपने चेहरे पर लगाते..
कॉलेज बंक कर पिक्चर किसके साथ जाते..
“उसके” घर के चक्कर किसके साथ लगाते..
बहनों की डोलियां हम किसके कंधों के भरोसे उठाते.
ऐसी ही अनगिनत यादों को हम कैसे जोड़ पाते
बिना दोस्तों के हम सांस तो लेते पर,
शायद जिन्दगी ना जी पाते ।
इश्क का बँटवारा रज़ामंदी से हुआ
इश्क का बँटवारा रज़ामंदी से हुआ…!!!
चमक उन्होने बटोरी… तड़प हम ले आए…!!!
ऐ दिल सोजा
ऐ दिल सोजा,
अब तेरी शायरी पढ़ने वाली
अब किसी और शायर की गजल बन गयी है..